भविष्य का इतिहास

इतिहासकार रोमिला थापर और कांग्रेस, जयभीम और जयमीम वालों को सादर समर्पित:-

इतिहास की घंटी में मास्टर जी पढ़ा रहे थे |

इतिहास भूगोल के बारे में कहा जाता है की “इतिहास भूगोल बड़ी बेबफा, रात को याद सुबह सफा”.

खैर इस कहावत का इस इतिहास की क्लास से कोई मतलब नहीं है. मास्टर जी पढ़ा रहे थे, हम पढ़ रहे थे की हस्तिनापुर के राजा युधिस्ठिर के 4 भाई थे युधिस्ठिर को लेके 5 और कर्ण को लेके 6 . पर कर्ण ने बचपन में घर छोड़ दिया था और वह अपने चचेरे भाई दुर्योधन के साथ रहता था . पांचो पांडवो की शादी द्रोपदी से हुई थी . पांचो पांडव ख़ुशी-खुशी अपना जीवन यापन कर रहे थे कि शकुनी मामा ने युधिस्ठिर को जुए में हरा उनका सारा राज पाट हड़प लिया. ये तो युधिस्ठिर की गलती थी जुए पे आज की सरकार ने बैन लगा रखा है . क्या ये बात उस टाइम के लोगो को नहीं पता थी क्या ?

जुए में घर बार हारने के बाद जंगल में जाना पड़ा बनवास के लिए. बनवास करते-करते वे पुरे भारत का भ्रमण कर लिए. जंगल में इह्नोने कई देशो से लडाईयां की. जिसमे इन्होने अफगानिस्तान को पूरी तदाह बर्बाद कर दिया .इसी क्रम में इनकी दोस्ती कृष्ण भगवान से हुई. वे इनके परम मित्र बन गए. फिर ये यात्रा करते हुए थोडा और आगे बड़े . रास्ते में द्रोपदी को एक जगह प्यास लगी . द्रोपदी ने पानी पीने की इच्छा जताई .युधिस्ठिर ने भीम को पानी लाने के लिए कहा .भीम पानी लाने ले लिए चल पड़े .भीम को गए काफी देर हो गई , वे वापस नहीं आये .युधिस्ठिर ने अर्जुन को भेजा . अर्जुन गए तो गए ही रह गए , आये नहीं . एक-एक कर के युधिस्ठिर ने अपने सारे भाइयों को पानी की तलाश में भेज दिया काफी देर के बाद भी कोई वापस नहीं आया. तो युधिस्ठिर खुद पानी और अपने भाइयों की तलाश में निकले.

टहलते टहलते वे एक तालाब के किनारे पहुचे तो देखा कि उनके चारो भाई अचेतन हुए पड़े हैं. उन्होंने सोचा की प्यास से बेहोश हैं. इनके चहरे पे पानी का छिटा मार के होश में लाया जाये . जैसे ही पानी लेने के लिए तालाब पे झुके तालन से आवाज आई अगर पानी पीना है तो मेरे प्रश्नों का जबाब देना पड़ेगा तुमको . युधिस्ठिर ने पूछा कौन हो आप? तालाब से आवाज़ आई, मैं कौन बनेगा करोड़पति से अमिताभ बच्चन बोला रहा हूँ . युधिस्ठिर मान गए . सवाल जवाब देना उनके बाएं हाथ का खेल था .

अपने गुरु द्रोन की क्लास में हमेशा वो 95% नंबर जो लाते थे . 100% भी लाने की तयारी थी पर तब ग्रेडिंग की व्यवस्था हो गयी . यहाँ पे उन्होंने अमिताभ बच्चन के 100 सवालो का सही सही जबाब दिया . अमिताभ बच्चन ने खुश होके कहा- परीक्षार्थी, परीक्षक से ज्यादा ज्ञानवान है .फिर युधिस्ठिर ने अपने भाइयो पे पानी के छिटके मारे. पानी के छिटके पड़ते ही सरे पांडव होश में आये गए . होश में आते ही उन्होंने युधिस्ठिर से सवाल की – भाईजान आप हम पे ये पानी के छिटके मार के होली क्यों मना रहे हो? तभी से हम होली का त्यौहार मानते आ रहे हैं .

वहाँ से पांचो पांडव पानी ले द्रोपदी के पास पूछे . पर उनको वहाँ पे द्रोपदी नहीं मिली .उन्होंने अपने आस पास का सारा जंगल छान मारा . रास्ते में उनको जटायु मिला . उसने बताया – लंका का राजा रावण आपकी द्रोपदी का हरण कर के ले जा रहा था . मैंने विद्रोह करने की कोशिश की तो उसने मेरे पंख ये कह के का दिया की- ये पंख हमके देदे जटायु . मैं द्रोपदी को बचा नहीं पाया .जटायु के दिशा निर्देश पे आगे बड़े . रास्ते में उनको हनुमान जी मिले .हनुमान जी ने उनको सुग्रीव से मिलाया . सुग्रीव ने बताया की अगर उनको उसकी मदद चाहिए तो बदले में उसको , उसके भाई बाली का राज्य दिलाना होगा .पांडव तैयार हो गए.युधिस्ठिर ने अपने भाई भीम को बाली से लड़ने के लिए भेजा . भीम ने बाली को मल्लयुद्ध में पछाड़ दिया और उसके पैर पकड़ के दो तुकडे कर दिए . बाली की जगह सुग्रीव राजा बन गया .बाली को इतिहास में जरासंध के नाम से भी जाना जाता है. सुग्रीव ने अपने वादे के अनुसार हनुमान को द्रोपदी की खोज में भेजा .हनुमान ने पता लगाया की द्रोपदी को लंका के राजा रावण ने अशोक वाटिका में रखा है.

द्रोपदी का पता लगते ही पांडवो ने लंका पैर चढाई करने की योजना बनाई. लंका की तरफ बदते हुए वे जा पहुचे कन्याकुमारी. वहां से आगे जाने का मार्ग बंद था तो उन्होंने नल नील को बुला के सागर के उपर पुल बनाने का टेंडर देने को कहा . नल नील पुल बनाने के लिए तैयार हो गय. पुल बनाना चालू हो गया. पांडव रोज़ ही पुल की गुद्वात्ता की जाँच करते थे कि कही इसमें नकली माल तो नहीं खपाया जा रहा है . कड़ी मेहनत और लगन से पुल तैयार हो गया. उसपे चढ़ के वे लंका की धरती पे उतरे ही थे कि वहा के कस्टम वालो ने पासपोर्ट और वीसा की जाँच शुरू कर दी. पांडवो के पास भी पासपोर्ट और वीसा नहीं था .वनवास पे जाने के पहले दुर्योधन ने उनका पासपोर्ट और वीसा अपने पास जमा कर के देश से बाहर जाने से मना किया था . कस्टम वाले पांडवो को अंदर ले जाने वाले ही थे कि विभीषण वहा आ गए . उन्होंने पांडवो के सामने एक शर्त रखी- अगर तुम को रावण को मारने का रास्ता बताऊ तो तुमको मुझे लंका का राजा बनाना पड़ेगा और बदले में मैं तुमको द्रोपदी वापस कर दूंगा .

पांडव तैयार हो गए .बहुत घमासान लडाई हुई और रावण मारा गया .

पांडव अपनी द्रोपदी को लेकर वापस हस्तिनापुर की ओर निकले नासा के सुपर सौनिक जेट से के रास्ते मे कश्मीर नामक एक जगह मिली फिर वहाँ पे उन्होने अल्पसंख्यक समुदाय पे बहुत अत्याचार किए और वहाँ के हिन्दु पंडितो को अपने साथ ले गए. तथा वहाँ पे एक क्रूर फौज लगा दी जो तब से कई सौ सालों तक इन मासूम लोगों पर पैलेट से आक्रमण करती रही. फिर भी मासूमों ने कभी विद्रोह नही किया, तत्पश्चात पांडव हस्तिनापुर आ गए और ख़ुशी-ख़ुशी राज्य करने लगे .

नोट :यह आज से दो सौ साल बाद के इतिहास के किताब के एक अध्याय से लिए गया है.

समर्पित: उन इतिहासकारों और सरकारों के नाम पे जो इतिहास को अपने मन से लिखवाते और स्कूल में पढ़ाते है . दूसरी सरकार आती है और उनमे फेरबदल कर के दुबारा से छपवाती है. जिन्होने सिकंदर को महान और राजा पौरू को इतिहास से गायब कर दिया।